Argala Stotram in Hindi
When we think about the Argala Stotram in Hindi, most of us are reminded of the divine strength of Goddess Durga. This sacred hymn comes from the Markandeya Purana and is an important part of the Durga Saptashati. For centuries, devotees have been reciting it to seek protection, prosperity, and inner peace.
Unlike many other mantras, the Argala Stotram directly praises the qualities of the Goddess in simple yet powerful verses
What is Argala Stotram?
The Argala Stotram is a set of 27 verses that highlight the compassion and power of Goddess Durga. It is generally recited before the Kavacham and Keelakam sections of the Durga Saptashati.
The word Argala itself means a “bolt” or “obstruction.” Just as a bolt secures a door, this stotram is believed to secure the devotee’s life with the blessings of the Divine Mother.
Argala Stotram Lyrics

ओं अस्य श्री अर्गलास्तोत्रमहामन्त्रस्य विष्णुरृषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्री महालक्ष्मीर्देवता, श्री जगदम्बाप्रीतये सप्तशतीपाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः ॥
ओं नमश्चण्डिकायै ।
मार्कण्डेय उवाच ।
ओं जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतापहारिणि ।
जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोऽस्तु ते ॥ १ ॥
मार्कण्डेय जी कहते हैं – हे देवी चामुण्डे! आपको जय हो, हे भूत-भवन और बुरी शक्तियों का नाश करने वाली! आपको जय हो, हे सर्वव्यापी देवी कालरात्रि! मेरा प्रणाम आपके चरणों में।
जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी ।
दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते ॥ २ ॥
हे देवी चामुण्डे! तुम्हें बारंबार जय हो। समस्त प्राणियों के दुःख दूर करने वाली माँ! तुम्हें प्रणाम है। सबमें व्याप्त रहने वाली देवी! तुम्हारी जय हो। हे कालरात्रि! आपको मेरा नमस्कार।
मधुकैटभविध्वंसि विधातृवरदे नमः ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ३ ॥
हे देवी! मधु-कैटभ के संहारिणी और ब्रह्मा को वरदान देने वाली, आपको मेरा प्रणाम। आप मुझे आत्मस्वरूप का ज्ञान (रूप) दें, मोह पर विजय का जय दें, मोह-विजय और ज्ञान-प्राप्ति का यश दें, तथा काम, क्रोध इत्यादि शत्रुओं का नाश कर दें।
महिषासुरनिर्नाशि भक्तानां सुखदे नमः ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ४ ॥
हे देवी! महिषासुर का संहार करने वाली और भक्तों को सुख प्रदान करने वाली माँ, आपको मेरा प्रणाम। आप मुझे रूप दें, जय दें, यश दें और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश कर दें।
धूम्रनेत्रवधे देवि धर्मकामार्थदायिनि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ५ ॥
हे देवी! जो धूम्रनेत्र नामक दैत्य का वध करने वाली हैं और धर्म, काम और अर्थ देने वाली हैं, मुझे रूप, विजय, यश दें काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश कर दें।
रक्तबीजवधे देवि चण्डमुण्डविनाशिनि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ६ ॥
हे देवी! रक्तबीज का वध करने वाली और चण्ड-मुण्ड का नाश करने वाली माता, आपको मेरा प्रणाम। आप मुझे रूप दें, जय दें, यश दें तथा काम, क्रोध आदि शत्रुओं का नाश कर दें।
निशुम्भशुम्भनिर्नाशि त्रैलोक्यशुभदे नमः ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ७ ॥
हे देवी! शुम्भ-निशुम्भ का संहार करने वाली माँ, आपको प्रणाम। आप मुझे रूप प्रदान करें, विजय दें, यश दें और काम-क्रोध जैसे शत्रुओं का विनाश करें।
वन्दिताङ्घ्रियुगे देवि सर्वसौभाग्यदायिनि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ८ ॥
हे देवी! सभी के द्वारा पूजित युगल चरणों वाली और संपूर्ण सौभाग्य देने वाली माँ, आपको प्रणाम। आप मुझे रूप दें, विजय दें, यश दें और काम-क्रोध जैसे शत्रुओं का नाश करें
अचिन्त्यरूपचरिते सर्वशत्रुविनाशिनि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ९ ॥
देवी! तुम्हारा रूप और चरित्र अचिन्त्य (असाधारण) हैं। तुम सब शत्रुओं का नाश करने वाली हो। मुझे रूप दियो, जय दियो, यश दियो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश कर दो।
नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चापर्णे दुरितापहे ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १० ॥
हे चण्डिके! पापों का नाश करने वाली माँ, जो भक्त भक्ति-पूर्वक सदा तुम्हारे चरणों में मस्तक झुकाते हैं, उन्हें रूप प्रदान करो, जय प्रदान करो, यश प्रदान करो और काम, क्रोध जैसे शत्रुओं का नाश कर दो।
स्तुवद्भ्यो भक्तिपूर्वं त्वां चण्डिके व्याधिनाशिनि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ११ ॥
हे चण्डिके! रोगों का नाश करने वाली माता, जो भक्तिपूर्ण मन से तुम्हारी स्तुति करते हैं, उन्हें रूप प्रदान करो, जय प्रदान करो, यश प्रदान करो और काम, क्रोध आदि शत्रुओं का नाश कर दो।
चण्डिके सततं युद्धे जयन्ति पापनाशिनि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १२ ॥
हे चण्डिके! आप सदा युद्ध में विजयी रहती हैं और सभी पापों और बुराइयों का नाश करने वाली हैं।, आप मुझे रूप प्रदान करो, जय प्रदान करो, यश प्रदान करो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश कर दो।
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि देवि परं सुखम् ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १३ ॥
हे देवी! मुझे सौभाग्य और आरोग्य प्रदान करो। परम सुख, रूप, जय और यश दें, तथा काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश कर दो।
विधेहि देवि कल्याणं विधेहि विपुलां श्रियम् ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १४ ॥
हे देवी! मेरा कल्याण करिए। मुझे उत्तम सम्पत्ति प्रदान करिए। आप मुझे रूप, जय और यश दें तथा काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश कर दीजिए।
विधेहि द्विषतां नाशं विधेहि बलमुच्चकैः ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १५ ॥
हे देवी! जो मुझसे द्वेष रखते हैं, उनका नाश करिए और मेरे बल की वृद्धि कीजिए। आप मुझे रूप, जय और यश प्रदान करें तथा काम-क्रोध इत्यादि शत्रुओं का नाश कर दें।
सुरासुरशिरोरत्ननिघृष्टचरणेऽम्बिके ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १६ ॥
अम्बिके! देवता और असुर दोनों अपने माथे के मुकुट की मणियों को तुम्हारे चरणों पर अर्पित करते हैं। आप मुझे रूप, जय और यश दें तथा काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश कर दें।
विद्यावन्तं यशस्वन्तं लक्ष्मीवन्तञ्च मां कुरु ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १७ ॥
हे देवी! अपने भक्तों को विद्वान, यशस्वी और लक्ष्मी से परिपूर्ण बनाइए। आप उन्हें रूप, जय और यश दें तथा काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश कर दें।
देवि प्रचण्डदोर्दण्डदैत्यदर्पनिषूदिनि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १८ ॥
हे देवी! प्रचंड भुजदण्ड वाले दैत्यों के घमंड को चूर करने वाली माता, आप मुझे रूप, जय और यश दें तथा काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश कर दें।
प्रचण्डदैत्यदर्पघ्ने चण्डिके प्रणताय मे ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १९ ॥
हे चण्डिके! प्रचंड दैत्यों के दर्प का नाश करने वाली माता, आप मुझ शरणागत को रूप, जय और यश दें तथा काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश कर दें।
चतुर्भुजे चतुर्वक्त्रसंस्तुते परमेश्वरि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ २० ॥
हे परमेश्वरी! चतुर्भुज, ब्रह्मा जी द्वारा प्रशंसित चार भुजाओं वाली देवी, आप मुझे रूप, जय और यश दें तथा काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश कर दें।
कृष्णेन संस्तुते देवि शश्वद्भक्त्या सदाम्बिके ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ २१ ॥
हे देवी अम्बिके! भगवान् विष्णु निरंतर और नित्य भक्ति भाव से आपकी स्तुति करते रहते हैं। आप मुझे रूप, जय और यश दें तथा काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश कर दें
हिमाचलसुतानाथसंस्तुते परमेश्वरि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ २२ ॥
हे परमेश्वरी! हिमालय-कन्या पार्वती के पति महादेव जी द्वारा प्रतिष्ठित माता, आप मुझे रूप, जय और यश दें तथा काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश कर दें
इन्द्राणीपतिसद्भावपूजिते परमेश्वरि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ २३ ॥
हे परमेश्वरी! शचीपति इंद्र द्वारा श्रद्धा और भक्ति से पूजित माता, आप मुझे रूप, जय और यश दें तथा काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश कर दें।
देवि भक्तजनोद्दामदत्तानन्दोदयेऽम्बिके ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ २४ ॥
हे देवी! प्रचंड भुजदण्ड वाले दैत्यों के घमंड को चूर करने वाली माता, आप मुझे रूप, जय और यश दें तथा काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश कर दें।
भार्यां मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम् ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ २५ ॥
हे देवी! ऐसी मनोहर पत्नी प्रदान करें जो मन की इच्छा के अनुसार हो, दुर्गम संसार से मोक्ष देने वाली हो और उत्तम कुल में जन्मी हो।
तारिणि दुर्गसंसारसागरस्याचलोद्भवे ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ २६ ॥
हे देवी दुर्गा! जो संसार के सागर को पार कराने वाली और अचल स्वरूप वाली हैं, मुझे रूप, विजय, यश दें और मेरे शत्रुओं का नाश करें
इदं स्तोत्रम् पठित्वा तु महास्तोत्रम् पठेन्नरः ।
सप्तशतीं समाराध्य वरमाप्नोति दुर्लभम् ॥ २७ ॥
जो मनुष्य इस स्तोत्र का पाठ करता है और सप्तशती रूपी महास्तोत्र का भी पाठ करता है, वह सप्तशती के जप से मिलने वाले श्रेष्ठ फल को प्राप्त करता है। इसके साथ ही उसे प्रचुर सम्पत्ति भी मिलती है।
इति श्रीमार्कण्डेयपुराणे अर्गला स्तोत्रम् ।
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Benefits of Argala Stotram
One of the reasons Argala Stotram in Hindi is recited daily is because of its many spiritual and practical benefits.
Key Benefits:
- Removes obstacles from life.
- Attracts peace, prosperity, and happiness.
- Protects the devotee from negative energies.
- Builds confidence and inner strength.
- Invites blessings of Goddess Durga in family and career matters.
Why Navratri Celebrated for 9 Days
How to Chant Argala Stotram in Hindi?
Chanting this stotram does not require complicated rituals. Here’s a simple way:
- Sit in a clean, peaceful place.
- Light a diya before Goddess Durga’s image.
- Recite the Argala Stotram in Hindi slowly with devotion.
- Beginners can keep an Argala Stotram PDF in front of them for guidance.
- With regular chanting, you’ll naturally memorize it over time.
Argala Stotram During Festivals
During Navratri, Chaitra Navratri, and Durga Puja, devotees chant this stotram with great devotion. Reading Durga Argala Stotram PDF during these nine days is believed to bring quick divine blessings.
Conclusion
The Argala Stotram in Hindi is much more than just a prayer—it is a spiritual shield. Whether you choose to chant the Sanskrit verses or read the Hindi translation, the blessings remain the same. With resources like Argala Stotram PDF, Durga Argala Stotram PDF, and Argala Stotram in Sanskrit PDF, it has become easier than ever to stay connected with this timeless prayer.
If you wish for peace, protection, and divine grace in your life, begin chanting the Argala Stotram in Hindi with devotion and faith. The benefits of Argala Stotram will gradually unfold in your everyday life.